AHSAAS Poem by Dr. Madhvi Mohindra
कभी सोचा न था कि वक्त इतना वक्त दे देगा इस वक्त को यू बिताने के लिये आज जब वक्त मिला तो मुड कर देखा उस वक्त को जब वक्त नही था आज के इस वक्त को जानने का कभी जिन्दगी के पीछे भागते कभी जिन्दगी के साथ भागते वक्त कैसे हाथ से फिसल गया ये सोचने का वक्त ही नही मिला आज जब वक्त मिला तो मुड कर देखा उस वक्त को जब वक्त नहीं था आज के इस वक्त को जानने का आज यूहीं वक्त बिताने को खोल बै्ठी परछत्ती पर रखी पुरानी अटैची , बयान करती वक्त की कहानी टूटा ताला , उखडा हैन्डल , उधडी बखिया मेरी ही तरह घूम कर पूरी दुनिया व्यक्त करती बीते वक्त की कहान...